यति नरसिंहानंद ने विष्णु पर टिप्पणी को लेकर CJI की आलोचना की, धार्मिक बहस छिड़ी

अरे भाई, कल ही सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते हुए एक पोस्ट दिखी, जिसमें यति नरसिंहानंद का नाम फिर से सुर्खियों में था। सोचा, ये तो वही महंत हैं ना, जो हमेशा किसी न किसी बयान से हंगामा मचाते रहते हैं। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई की एक टिप्पणी पर उन्होंने सीधे निशाना साधा है, और उसके बाद से धार्मिक भावनाओं को लेकर बहस छिड़ गई है। चलिए, बताता हूं क्या हुआ।

मामला मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर का है। वहां जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की एक पुरानी, टूटी हुई प्रतिमा को दोबारा स्थापित करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहुंची। 16 सितंबर को सुनवाई के दौरान CJI गवई ने कहा, “भगवान विष्णु से जाकर कहो कि वे खुद कुछ करें।” ये सुनते ही सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। लोग इसे भगवान का अपमान मानकर भड़क उठे। वकीलों ने तो CJI को खुला खत तक लिख दिया, जिसमें कहा गया कि ऐसी टिप्पणी से धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचती है।

अब यति नरसिंहानंद ने इसे मौका पकड़ लिया। उन्होंने CJI की आलोचना करते हुए कहा कि न्यायपालिका को धार्मिक मामलों में संवेदनशील होना चाहिए। उनके मुताबिक, ये टिप्पणी हिंदू भावनाओं के खिलाफ है, और कोर्ट को ऐसे बयानों से बचना चाहिए। इससे पहले यति नरसिंहानंद पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणियों को लेकर विवादों में रहे हैं, लेकिन इस बार फोकस हिंदू देवताओं पर है।

दूसरी तरफ, CJI गवई ने 18 सितंबर को सफाई दी। उन्होंने कहा, “मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। मेरी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश किया गया।” याचिकाकर्ता के वकील संजय नूली ने भी माना कि सोशल मीडिया ने इसे तोड़-मरोड़ कर फैलाया। फिर भी, बहस थमने का नाम नहीं ले रही। हिंदू संगठन कह रहे हैं कि पुरातत्व विभाग (ASI) को मूर्ति की मरम्मत की इजाजत देनी चाहिए, जबकि कुछ लोग कोर्ट की टिप्पणी को व्यंग्य मानकर हंस रहे हैं।

ये सब देखकर लगता है, धार्मिक मुद्दे कितने संवेदनशील हैं। एक छोटी सी बात पर पूरा देश गरम हो जाता है। सरकार को सोचना चाहिए कि ऐसे विवादों को कैसे रोका जाए, वरना सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा। आपका क्या ख्याल है? कमेंट में बताओ, अगर कोई पर्सनल स्टोरी हो तो शेयर करो। चलो, शांतिपूर्ण बहस करें।

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