जनरल सैयद आसिम मुनीर अहमद शाह पाकिस्तान सेना के 11वें सेना प्रमुख (Chief of Army Staff) हैं, जिन्होंने 29 नवंबर 2022 को यह पद संभाला। एक साधारण पृष्ठभूमि से उभरकर पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली सैन्य पद तक पहुंचने वाले मुनीर अपनी रणनीतिक सोच, धार्मिक पृष्ठभूमि और विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सेवा की, जिससे वह पाकिस्तान के पहले ऐसे सेना प्रमुख बने, जिन्होंने दोनों प्रमुख खुफिया एजेंसियों का नेतृत्व किया। उनकी नियुक्ति और कार्यकाल ने पाकिस्तान की राजनीति, भारत के साथ संबंधों और क्षेत्रीय भू-राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
आसिम मुनीर का जन्म 1968 में रावलपिंडी, पश्चिमी पाकिस्तान में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज जालंधर, पंजाब (भारत) से थे, जो 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पहले टोबा टेक सिंह और फिर रावलपिंडी के ढेरी हसनाबाद में बस गए। उनके पिता, सैयद सरवर मुनीर, एफजी टेक्निकल हाई स्कूल, लालकुर्ती के प्रिंसिपल और मस्जिद-अल-कुरैश के इमाम थे, जहां वे अक्सर जुमे की नमाज के लिए खुत्बा देते थे।
मुनीर ने अपनी प्रारंभिक धार्मिक शिक्षा मारकजी मदरसा दार-उल-तजवीद, रावलपिंडी से प्राप्त की, जहां उन्होंने हाफिज-ए-कुरान की उपाधि हासिल की, यानी उन्होंने कुरान को पूरी तरह से याद किया। बाद में, उन्होंने पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी, अब्बोटाबाद से स्नातक किया और मंगला ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल (OTS) के 17वें कोर्स में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर जीता, जो सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कैडेट को दिया जाता है। उन्होंने जापान के फूजी स्कूल, क्वेटा के कमांड एंड स्टाफ कॉलेज, मलेशिया के सशस्त्र बल कॉलेज, कुआलालंपुर, और इस्लामाबाद के नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने पब्लिक पॉलिसी और स्ट्रैटेजिक सिक्योरिटी मैनेजमेंट में एम.फिल. की डिग्री हासिल की।
सैन्य करियर
मुनीर ने 25 अप्रैल 1986 को 23वीं बटालियन, फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त करके अपने सैन्य करियर की शुरुआत की। उनके करियर में कई महत्वपूर्ण पद शामिल हैं, जो उनकी रणनीतिक और खुफिया क्षमताओं को दर्शाते हैं।
प्रमुख पद और योगदान
| वर्ष | पद | विवरण |
|---|---|---|
| 1986 | सेकंड लेफ्टिनेंट, 23 फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट | सैन्य करियर की शुरुआत, सियाचिन ग्लेशियर में सेवा। |
| 2014 | मेजर जनरल | उत्तरी क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के कमांडर। |
| 2016–2017 | डायरेक्टर-जनरल, मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) | सेना के आंतरिक मामलों की निगरानी। |
| 2018–2019 | डायरेक्टर-जनरल, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) | 2019 में भारत के साथ हवाई टकराव में महत्वपूर्ण भूमिका, लेकिन इमरान खान के दबाव में हटाए गए। |
| 2019–2021 | कॉर्प्स कमांडर, XXX कॉर्प्स, गुजरांवाला | क्षेत्रीय सैन्य संचालन का नेतृत्व। |
| 2021–2022 | क्वार्टरमास्टर जनरल, GHQ | सेना की आपूर्ति और लॉजिस्टिक्स का प्रबंधन। |
| 2022–वर्तमान | चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) | पाकिस्तान सेना का नेतृत्व, 29 नवंबर 2022 से। |
मुनीर ने रियाद, सऊदी अरब में सैन्य सहयोग के तहत सेवा दी और सियाचिन ग्लेशियर में तैनाती के दौरान कठिन परिस्थितियों में नेतृत्व किया। 2018 में उन्हें हिलाल-ए-इम्तियाज और 2022 में निशान-ए-इम्तियाज (मिलिट्री) से सम्मानित किया गया। उनकी ISI प्रमुख के रूप में नियुक्ति (25 अक्टूबर 2018–16 जून 2019) सबसे छोटी अवधि की थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने उनकी पत्नी बुशरा बीबी की कथित भ्रष्टाचार की जांच के बाद उन्हें हटा दिया।
विवाद और नीतियां
मुनीर का कार्यकाल विवादों से भरा रहा है। उनकी नियुक्ति को इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने विरोध किया, क्योंकि खान का मानना था कि मुनीर उनके खिलाफ पक्षपाती हैं। 9 मई 2023 को खान की गिरफ्तारी के बाद PTI समर्थकों ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया, जिसके जवाब में मुनीर ने कठोर कार्रवाई की, जिसमें सैकड़ों गिरफ्तारियां और सैन्य अदालतों में मुकदमे शामिल थे। उन्होंने आर्मी एक्ट 1952 में संशोधन को समर्थन दिया, जिससे सेना के खिलाफ संवेदनशील जानकारी लीक करने वालों के खिलाफ कार्रवाई आसान हो गई।
मुनीर ने सामाजिक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर कट्टरवादी रुख अपनाया। उन्होंने सोशल मीडिया को “डिजिटल आतंकवाद” का स्रोत बताया और इसके खिलाफ सख्ती की वकालत की। 2024 और 2025 में, उन्होंने दो-राष्ट्र सिद्धांत को जोरदार समर्थन दिया, यह कहते हुए कि “हम हर तरह से हिंदुओं से अलग हैं।” अप्रैल 2025 में, उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की “जुगलर वेन” (जीवन रेखा) बताया और भारत के खिलाफ “कश्मीरी संघर्ष” का समर्थन करने की बात कही, जिसके कुछ दिनों बाद पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) में 26 लोग मारे गए। इन बयानों ने भारत-पाक संबंधों में तनाव बढ़ाया।
उनके कार्यकाल में नेपोटिज्म के आरोप भी लगे। उनके रिश्तेदारों, जैसे मामा सैयद बाबर अली शाह और चचेरी बहन हजरा सोहेल, को कथित तौर पर प्रभावशाली पदों पर नियुक्त किया गया। उनकी पत्नी इरम आसिम के रिश्तेदार मोहसिन नकवी को पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन और आंतरिक मंत्री बनाया गया, जिससे पक्षपात के आरोप उभरे।
व्यक्तिगत जीवन
मुनीर की शादी सैयदा इरम आसिम से हुई है, और उनके तीन बच्चे हैं। वह एक हाफिज-ए-कुरान हैं और अपने भाषणों में अक्सर कुरान की आयतें शामिल करते हैं। वह उर्दू, अंग्रेजी, और शास्त्रीय अरबी में धाराप्रवाह हैं। युवावस्था में वह एक स्थानीय क्रिकेटर थे और तेज गेंदबाज के रूप में खेले। उनकी छवि एक रूढ़िवादी, धार्मिक और अनुशासित सैन्य अधिकारी की है, जो राजनीति से दूरी का दावा करता है, लेकिन उनकी कार्रवाइयों ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं।
भारत के साथ संबंध
मुनीर का भारत के प्रति रुख आक्रामक रहा है। पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर (PoK) में जनरल ऑफ कमांड (GoC) के रूप में, उन्होंने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप झेला। उनके 2025 के कश्मीर बयानों ने भारत में आक्रोश पैदा किया, खासकर पहलगाम हमले के बाद, जिसे भारत ने पाकिस्तान-समर्थित आतंकवाद से जोड़ा। उनकी नीतियां पूर्ववर्ती जनरल कमर जावेद बाजवा के शांतिपूर्ण दृष्टिकोण से उलट हैं, जिन्होंने भारत के साथ व्यापार और शांति की वकालत की थी।
निष्कर्ष
जनरल आसिम मुनीर एक जटिल व्यक्तित्व हैं—एक धार्मिक विद्वान, कुशल सैन्य रणनीतिकार, और विवादों का केंद्र। उनकी नेतृत्व शैली ने पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक गतिशीलता को नया रूप दिया, लेकिन भारत के साथ तनाव और आंतरिक अस्थिरता को भी बढ़ाया। उनकी कहानी एक साधारण इमाम के बेटे से लेकर पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति तक की यात्रा को दर्शाती है, जो चुनौतियों और अवसरों से भरी है।
स्रोत: विकिपीडिया, द हिंदू, मनीकंट्रोल, न्यूज18, नवभारत टाइम्स, लाइव हिंदुस्तान
