जमीन का पट्टा कैसे देखें | Secrets Land record Process: 2025

जमीन का पट्टा कैसे देखें – भारत मे जमीन की कीमत दिन प्रति दिन दुगनी हो रही है। इसी वजह से लोग अपने जमीन से संबंधित सभी दस्तावेज ऑफलाइन निकाल रहे है। अभी के समय भारत देश डिजिटल इंडिया की और बढ़ रहा है जिससे हम घर बैठे अपने जमीन से संबंधित ज्यादातर दस्तावेज अनलाइन तरीखे से निकाल सखाते है।

ज़मीन का पट्टा यह कही महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जामीन की खरेदी करनी हो या फिर किसी जमींन को बेचना हो तो ज़मीन का पट्टा की जरूरत होती है। यह दस्तावेज भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त रहता है जिसकी वजह से इसे सरकारी दफ़्तर में और किसी भी जग़ह इस्तेमाल कर सखते है। अब हम आगे देखने वाले है घर बैठे अपने मोबाईल फोन से जमीन का पट्टा कैसे देखें ?


जमीन का पट्टा बनवाने में कितना पैसा लगता है?

भारत में जमीन का पट्टा बनवाने की लागत राज्य, क्षेत्र, जमीन के प्रकार (सरकारी या निजी), और पट्टे की अवधि पर निर्भर करती है। सामान्यतः सरकारी जमीन के पट्टे के लिए निम्नलिखित खर्चे हो सकते हैं:

  1. आवेदन शुल्क: ₹100 से ₹1,000 तक, जो तहसील या स्थानीय राजस्व कार्यालय द्वारा निर्धारित होता है।
  2. पट्टा शुल्क: यह जमीन के बाजार मूल्य, क्षेत्रफल, और उपयोग (कृषि, आवासीय, वाणिज्यिक) पर आधारित होता है। कुछ राज्यों में यह ₹1,000 से ₹50,000 या अधिक हो सकता है। उदाहरण के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि के लिए शुल्क कम हो सकता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में अधिक।
  3. दस्तावेजीकरण और अन्य शुल्क: नक्शा, सत्यापन, और रजिस्ट्री के लिए ₹500 से ₹5,000 तक।
  4. रिश्वत (यदि लागू): कुछ मामलों में, प्रक्रिया को तेज करने के लिए अनौपचारिक खर्चे हो सकते हैं, हालांकि यह गैरकानूनी है।

उदाहरण:

  • उत्तर प्रदेश: ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी जमीन का पट्टा ₹2,000 से ₹10,000 तक हो सकता है।
  • बिहार: कृषि भूमि के लिए ₹1,000 से ₹5,000, लेकिन शहरी क्षेत्रों में अधिक।
  • राजस्थान: आवासीय पट्टे के लिए ₹5,000 से ₹20,000 या अधिक, जमीन के मूल्य के आधार पर।

सुझाव: सटीक लागत जानने के लिए स्थानीय तहसील कार्यालय, राजस्व विभाग, या ऑनलाइन पोर्टल (जैसे राज्य सरकार की वेबसाइट) से संपर्क करें। दस्तावेजों (आधार, निवास प्रमाण, जमीन विवरण) को तैयार रखें।

नोट: लागत 2025 में बदल सकती है, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए स्थानीय अधिकारियों से पुष्टि करें।

जमीन का पट्टा क्या है ?

ज़मीन का पट्टा (Land Record) एक ऐसा दस्तावेज है जिसकी मदत से हम जान सकते है किसी जमीन का असली मालिक कोण है। साथ मे उस जमीन की सभी प्रकारकी जानकारी मिलती है। यह एक सरकारी दसतवेज है जिसपर भरोसा कियाजा सखता है। ज़मीन का पट्टा मे आपको ज़मीन के मालिक का नाम, ज़मीन का खसरा नंबर, क्षेत्रफल, और जमीन से जुड़ी अन्य जानकारी शामिल होती है। यह एक भारत सरकार मान्यता प्रात दस्तावेज है जिसकी वाझसे इसे कई कानूनी मामलों मे इसका इस्तेमाल किया जाता है।

जमीन का पट्टा और रजिस्ट्री में क्या फर्क है?

रजिस्ट्री और पट्टे में मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:

  1. परिभाषा:
  • रजिस्ट्री: यह जमीन या संपत्ति के पूर्ण स्वामित्व (ownership) को कानूनी रूप से हस्तांतरित करने की प्रक्रिया है। रजिस्ट्री के बाद, खरीदार संपत्ति का मालिक बन जाता है।
  • पट्टा: यह जमीन या संपत्ति को निश्चित अवधि के लिए उपयोग करने का अधिकार देता है, बिना स्वामित्व हस्तांतरित किए। पट्टाधारक केवल उपयोगकर्ता होता है, मालिक नहीं।
  1. स्वामित्व:
  • रजिस्ट्री: स्वामित्व पूरी तरह से खरीदार को मिलता है, और वह जमीन को बेचने, हस्तांतरित करने या उपयोग करने का पूर्ण अधिकार रखता है।
  • पट्टा: स्वामित्व मालिक (सरकार या निजी व्यक्ति) के पास रहता है। पट्टाधारक केवल पट्टे की शर्तों के अनुसार जमीन का उपयोग कर सकता है।
  1. अवधि:
  • रजिस्ट्री: यह स्थायी होती है, जब तक कि संपत्ति दोबारा न बेची जाए।
  • पट्टा: यह अस्थायी होता है, जैसे 1, 5, 10, या 99 साल के लिए, और अवधि खत्म होने पर नवीकरण या समाप्ति हो सकती है।
  1. उद्देश्य:
  • रजिस्ट्री: संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए, जैसे मकान, प्लॉट, या खेत।
  • पट्टा: किराए या उपयोग के लिए, जैसे कृषि, आवास, या व्यवसाय के लिए जमीन लेना।
  1. कानूनी प्रक्रिया:
  • रजिस्ट्री: स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्री शुल्क, और सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में दस्तावेजों का पंजीकरण आवश्यक। लागत अधिक होती है (जमीन के मूल्य का 5-10%)।
  • पट्टा: तहसील, राजस्व विभाग, या निजी मालिक के साथ समझौता। लागत कम होती है (आवेदन शुल्क, किराया, या पट्टा शुल्क)।
  1. उदाहरण:
  • रजिस्ट्री: आपने ₹10 लाख में एक प्लॉट खरीदा और रजिस्ट्री कराई। अब आप उसका मालिक हैं।
  • पट्टा: सरकार से 10 साल के लिए खेती के लिए जमीन ली। आप उपयोग कर सकते हैं, लेकिन मालिक सरकार है।

नोट:

  • रजिस्ट्री में संपत्ति आपके नाम पर स्थायी रूप से दर्ज हो जाती है, जबकि पट्टे में केवल उपयोग का अधिकार मिलता है।
  • कुछ मामलों में, लंबी अवधि के पट्टे (जैसे 99 साल) को रजिस्ट्री की तरह माना जा सकता है, लेकिन स्वामित्व मालिक के पास रहता है।
  • सटीक जानकारी के लिए स्थानीय राजस्व कार्यालय या वकील से संपर्क करें।

किसी भी जमीन का पट्टा कैसे प्राप्त करें?

जमीन का पट्टा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. आवेदन करें: स्थानीय तहसील या राजस्व विभाग में जमीन के पट्टे के लिए आवेदन पत्र जमा करें।
  2. दस्तावेज जमा करें: आधार कार्ड, राशन कार्ड, निवास प्रमाण, जमीन का विवरण और अन्य आवश्यक दस्तावेज प्रदान करें।
  3. सत्यापन: राजस्व अधिकारी द्वारा जमीन और दस्तावेजों का सत्यापन किया जाता है।
  4. स्वीकृति और भुगतान: सत्यापन के बाद, पट्टा स्वीकृत होने पर निर्धारित शुल्क जमा करें।
  5. पट्टा जारी: स्वीकृति के बाद, पट्टा पत्र जारी किया जाता है।

नोट: प्रक्रिया राज्य और स्थानीय नियमों के अनुसार भिन्न हो सकती है। स्थानीय तहसील कार्यालय से संपर्क करें।

जमीन का पट्टा कैसे देखें ?

जमीन का पट्टा देखने के लिए सबसे पहले अपने फोन या कंप्युटर मे गूगल खोले और उस पर https://rcms.mp.gov.in/ इस वेबसाईट पर जाना होगा। सरकार की अधिकृत वेबसाईट पर जाने ले लिए अप गूगल या नीचे दिए लीक की मदत ले सखाते है।

Step 1 : सरकार की अधिकृत वेबसाइट खुलणे के बाद अपाको सामने सरकार की सभी सेवा और संबंधित बटन और जनकरी मिलेगी। इस सभी बटन मे से आपको उपलब्ध सुविधाए पर क्लिक करना होगा।

जमीन का पट्टा कैसे देखें

Step 2 : जिसे ही आप उपलब्ध सुविधाए पर क्लिक करेंगे तो आपके सामने एक नया पेज खुल जायेगा। इस पगे मे आपको सरकार की आर.सी.एम.एस पर मिलने वाले सभी सुविधाए दिए है इन मे से हमे आवासीय पट्टे हेतु के नीचे आवेदन करे जगह क्लिक करना है।

ऑनलाइन पट्टा

Step 3 : अब आपके सामने आवासीय पट्टों के लिए आवेदन करने के लिए फॉर्म मिलेगा। आगे आपको आपकी जानकारी देनी है जिसमे आपका जिला, सब डिवीज़न, तहसील, आर.आई. सर्किल, पटवारी हल्का, ग्राम, कोर्ट / न्यायालय चुनना होगा।

registry jamin ka patta

Step 4 : आगे आपको जमीन से जुड़ी सभी जानकारी देनी है जैसे एक्ट, धारित क्षेत्रफल, दिशा और सर्वे खसरा क्रमांक देना होगा और साथ मे जमीन के मालिक की जानकारी जैसे वादी का नाम, पिता का नाम, पता, फ़ोन नंबर, जातिवर्ग, सामाजिक आर्थिक वर्ग इत्यादि जानकारी देनी होगी।

Step 5 : जैसे ही सभी जानकारी भरने के बाद नया जोड़े बटन पर क्लिक करे।

jamin ka patta kaisa hota hai

Step 6 : जमीन का पट्टा यह एक सरकारी दस्तावेज है और इस दस्तावेज को डाउनलोड करने के लिए आपको पंचायत प्रमाण पत्र, स्थल का फोटो और नजरीय नक्शा यह तीन फोटो अपलोड करने होंगे। आप Choose File पर क्लिक करके आसानी से फोटो अपलोड कर सखाते है।

Step 7 : नीचे सेव करे बटन पर क्लिक करने से पहले आवेद के समय पूछी सभी जनकरी को दुबारा देखे और बाद मे सेव करे पर क्लिक करे। आगे आपको इस आवेदन की रसीद मिलेगी जिसे आपको संभाल के रखना होगा। आगे ज़मीन का पट्टा के लिए इस रसीद का उपयोग होगा।

sarkari jamin ka patta kaise banaye

इस स्टेप की मदत से आप आपका ज़मीन का पट्टा को आसानी दे देखा सखाते है। नीचे ज़मीन का पट्टा से संबंधित आवश्यक जानकारी दी है वे पढे!

जमीन का पट्टा का इस्तेमाल किस जगह होता है ?

  • पट्टा और शर्तें जांच करने में मदत होती है।
  • असली मालिक की पुष्टि करने के लिए।
  • पट्टा हस्तांतरण की अनुमति सुनिश्चित करने के लिए।
  • संबंधित प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त करें।
  • कानूनी मामलों में पुष्टि करने के लिए।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में।
  • बकाया भुगतान के लिए।
  • जमीन खरेदी या बेचने के लिए।
  • खरीदार की पहचान और पते की जांच के लिए।

पट्टे की जमीन का मालिक कौन है?

जमीन का पट्टा का मालिक मूल रूप से वह व्यक्ति या संस्था होती है, जिसके नाम जमीन का स्वामित्व दर्ज है, जैसे सरकार, निजी मालिक या ट्रस्ट। पट्टाधारक (जिसे पट्टा दिया गया है) केवल उस जमीन का उपयोगकर्ता होता है, जिसे पट्टे की शर्तों के तहत निश्चित अवधि के लिए उपयोग करने का अधिकार मिलता है। पट्टाधारक को मालिकाना हक नहीं मिलता, जब तक कि पट्टा स्थायी या स्वामित्व हस्तांतरण का प्रावधान न हो।

उदाहरण:

  • सरकारी जमीन पर पट्टा होने पर सरकार मालिक होती है।
  • निजी जमीन पर पट्टा होने पर मालिक वह व्यक्ति होता है, जिसने पट्टा दिया।

स्थानीय कानून और पट्टे की शर्तों के आधार पर स्थिति भिन्न हो सकती है। सटीक जानकारी के लिए स्थानीय राजस्व कार्यालय या तहसील से संपर्क करें।

क्या पट्टे की जमीन बेची जा सकती है?

पट्टे की जमीन को बेचने की संभावना पट्टे के प्रकार, शर्तों और स्थानीय कानूनों पर निर्भर करती है। सामान्य दिशानिर्देश निम्नलिखित हैं:

  1. सरकारी जमीन का पट्टा:
  • आमतौर पर सरकारी जमीन के पट्टे (जैसे कृषि या आवासीय) को बेचा नहीं जा सकता, क्योंकि पट्टाधारक केवल उपयोगकर्ता होता है, मालिक नहीं।
  • कुछ मामलों में, यदि पट्टा स्थायी (permanent lease) है या स्वामित्व हस्तांतरण की अनुमति देता है, तो विशेष अनुमति (जैसे तहसीलदार या जिला कलेक्टर से) के साथ बेचा जा सकता है।
  • उदाहरण: उत्तर प्रदेश में कुछ स्थायी पट्टों को बेचने की अनुमति हो सकती है, लेकिन इसके लिए राजस्व विभाग की मंजूरी जरूरी है।
  1. निजी जमीन का पट्टा:
  • यदि जमीन निजी मालिक से पट्टे पर ली गई है, तो पट्टा समझौते की शर्तें लागू होती हैं। अधिकांश मामलों में, पट्टाधारक बिना मालिक की सहमति के जमीन नहीं बेच सकता।
  • कुछ मामलों में, पट्टे के अधिकार (leasehold rights) को हस्तांतरित या बेचा जा सकता है, यदि समझौते में इसकी अनुमति हो।
  1. कानूनी प्रक्रिया:
  • बिक्री के लिए पट्टा समझौते की शर्तों की जांच करें।
  • स्थानीय राजस्व कार्यालय या तहसील से अनुमति लें।
  • दस्तावेज जैसे पट्टा पत्र, एनओसी (No Objection Certificate), और मालिकाना हक का प्रमाण आवश्यक हो सकता है।
  1. प्रतिबंध:
  • कई राज्यों में, अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) को दी गई पट्टे की जमीन को बेचने पर सख्त प्रतिबंध हैं।
  • अस्थायी पट्टे (temporary lease) को बेचना आमतौर पर असंभव है।

सुझाव:

  • सटीक जानकारी के लिए स्थानीय तहसील कार्यालय, राजस्व विभाग, या वकील से संपर्क करें।
  • अपने राज्य के भू-राजस्व कानून (जैसे उत्तर प्रदेश में UP Revenue Code, 2006) की जांच करें।

नोट: गलत तरीके से बिक्री करने पर कानूनी समस्याएं हो सकती हैं। हमेशा कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।

पट्टे को कौन समाप्त कर सकता है?

पट्टे को समाप्त करने का अधिकार निम्नलिखित पक्षों के पास हो सकता है, जो पट्टे के प्रकार, शर्तों और स्थानीय कानूनों पर निर्भर करता है:

  1. पट्टादाता (जमीन का मालिक):
  • सरकारी जमीन के मामले में, सरकार (राजस्व विभाग, तहसीलदार, या जिला प्रशासन) पट्टा समाप्त कर सकती है, यदि:
    • पट्टे की शर्तों का उल्लंघन हो (जैसे, जमीन का गलत उपयोग, किराया न देना)।
    • पट्टे की अवधि समाप्त हो जाए और नवीकरण न हो।
    • सार्वजनिक हित में जमीन की आवश्यकता हो।
  • निजी जमीन के मामले में, मालिक पट्टा समझौते की शर्तों के आधार पर पट्टा रद्द कर सकता है, जैसे कि पट्टाधारक द्वारा नियम तोड़ने पर।
  1. पट्टाधारक (जमीन का उपयोगकर्ता):
  • पट्टाधारक स्वेच्छा से पट्टा छोड़ सकता है, यदि वह अब जमीन का उपयोग नहीं करना चाहता। इसके लिए:
    • उसे लिखित में तहसील या मालिक को सूचित करना होगा।
    • बकाया किराया या शुल्क (यदि कोई हो) चुकाना पड़ सकता है।
  • कुछ मामलों में, समझौते में निर्धारित नोटिस अवधि का पालन करना जरूरी होता है।
  1. कानूनी प्राधिकरण:
  • अदालत या अन्य कानूनी संस्था पट्टा समाप्त कर सकती है, यदि:
    • पट्टा समझौते को लेकर विवाद हो और अदालत रद्द करने का आदेश दे।
    • जमीन का अवैध उपयोग या धोखाधड़ी साबित हो।
  • उदाहरण: यदि पट्टा गलत दस्तावेजों पर आधारित हो, तो जिला कलेक्टर या राजस्व न्यायालय इसे रद्द कर सकता है।
  1. स्वतः समाप्ति:
  • यदि पट्टा निश्चित अवधि के लिए है (जैसे 5 या 10 वर्ष), तो अवधि समाप्त होने पर यह स्वतः समाप्त हो सकता है, जब तक कि नवीकरण न हो।
  • मालिक की मृत्यु या जमीन के स्वामित्व में बदलाव (कुछ मामलों में) भी पट्टे को प्रभावित कर सकता है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • सरकारी पट्टे में, रद्द करने की प्रक्रिया में तहसीलदार, SDM, या जिला कलेक्टर शामिल हो सकते हैं।
  • निजी पट्टे में, समझौते की शर्तें और स्थानीय किराया नियंत्रण कानून (जैसे, Rent Control Act) लागू होते हैं।
  • पट्टा रद्द करने से पहले, आमतौर पर नोटिस जारी किया जाता है और सुनवाई का मौका दिया जाता है।

सुझाव:

  • पट्टा समझौते की शर्तों को ध्यान से पढ़ें।
  • सटीक जानकारी और प्रक्रिया के लिए स्थानीय तहसील कार्यालय, राजस्व विभाग, या कानूनी सलाहकार से संपर्क करें।
  • अपने राज्य के भू-राजस्व कानून (जैसे, UP Revenue Code, 2006) की जांच करें।

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