मेरठ में पुलिस चौकी में मनाई गई इफ्तार पार्टी, हिंदू संगठनों ने जताई नाराजगी

मेरठ में पुलिस चौकी में मनाई गई इफ्तार पार्टी, हिंदू संगठनों ने जताई नाराजगी

मेरठ, 26 मार्च 2025: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक पुलिस चौकी में इफ्तार पार्टी के आयोजन ने विवाद खड़ा कर दिया है। यह घटना जाकिर कॉलोनी पुलिस चौकी की है, जहां चौकी प्रभारी शैलेंद्र प्रताप सिंह और इंस्पेक्टर विष्णु कुमार समेत कई पुलिसकर्मियों ने इफ्तार दावत में हिस्सा लिया। इस दौरान पुलिसकर्मियों को मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए कुर्सियां लगाते हुए भी देखा गया। इस आयोजन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हिंदू संगठनों ने कड़ा विरोध जताया और मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत करने की मांग की है।

जानकारी के मुताबिक, 17 मार्च को जाकिर कॉलोनी पुलिस चौकी का उद्घाटन एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने किया था। उद्घाटन के दिन सुबह पूजा-पाठ और दावत का आयोजन हुआ, जिसमें कोई विवाद नहीं था। लेकिन उसी दिन शाम को चौकी प्रभारी ने बिना किसी उच्च अधिकारियों की अनुमति के इफ्तार पार्टी का आयोजन कर दिया। इस दावत में क्षेत्र के कई लोग शामिल हुए। वायरल वीडियो में पुलिसकर्मी कुर्सियां व्यवस्थित करते और मेहमानों का स्वागत करते नजर आए।

हिंदू संगठनों का विरोध

इस घटना के बाद हिंदू संगठनों ने इसे नियमों का उल्लंघन और पुलिस चौकी जैसे सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक आयोजन का आरोप लगाया। संगठनों का कहना है कि पुलिस चौकी एक तटस्थ और प्रशासनिक जगह है, जहां इस तरह के आयोजन की अनुमति नहीं होनी चाहिए। हिंदू संगठन के एक नेता ने कहा, “यह बेहद आपत्तिजनक है। पुलिस को सभी समुदायों के प्रति निष्पक्ष रहना चाहिए। हम इस मामले को मुख्यमंत्री तक ले जाएंगे और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।”

पुलिस ने की कार्रवाई

विवाद बढ़ने और वीडियो के वायरल होने के बाद मेरठ के एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चौकी प्रभारी शैलेंद्र प्रताप सिंह को लाइन हाजिर कर दिया। हालांकि, इंस्पेक्टर विष्णु कुमार के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई की खबर नहीं है। पुलिस का कहना है कि बिना अनुमति के इस तरह का आयोजन नियमों के खिलाफ है और मामले की जांच की जा रही है।

सोशल मीडिया पर बहस

यह घटना सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गई है। जहां कुछ लोग इसे समुदाय के बीच भाईचारे का प्रतीक मान रहे हैं, वहीं कई यूजर्स ने पुलिस की इस हरकत की आलोचना की है। एक यूजर ने लिखा, “पुलिस का काम कानून व्यवस्था बनाए रखना है, न कि धार्मिक आयोजन करना।” वहीं, दूसरे पक्ष का कहना है कि इसमें गलत कुछ नहीं है, यह केवल एक सामुदायिक पहल थी।

आगे की कार्रवाई पर नजर

हिंदू संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में सख्त कदम नहीं उठाए गए तो वे आंदोलन करेंगे। फिलहाल, पुलिस प्रशासन इस मामले को शांत करने की कोशिश में जुटा है। यह देखना बाकी है कि इस विवाद का क्या नतीजा निकलता है और क्या यह मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचेगा।

इस घटना ने एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली और तटस्थता पर सवाल उठाए हैं, जिसके जवाब के लिए सभी की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं।

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