40 सालों में भी नहीं बदली कांग्रेस: तुष्टिकरण की राजनीति पर फिर से उठे सवाल

नई दिल्ली – कांग्रेस पार्टी पर एक बार फिर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लग रहा है, जिसे लेकर सियासी हलकों में हंगामा मचा हुआ है। 40 साल पहले जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद में क़ानून बनाकर पलट दिया गया था, वही हालात अब फिर से देखने को मिल रहे हैं। आज की स्थिति में संसद द्वारा पारित एक क़ानून, विशेषकर वक्फ (Waqf) कानून, को कोर्ट से पलटवाने की कोशिशें हो रही हैं। यह मुद्दा अब कांग्रेस पार्टी की नीति और उसके तौर-तरीकों पर सवाल खड़े कर रहा है।

तुष्टिकरण की राजनीति

कांग्रेस पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप नया नहीं है। कांग्रेस का इतिहास इस बात से भरा पड़ा है कि पार्टी अक्सर अपने राजनीतिक फायदे के लिए धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इस तरह की रणनीतियाँ अपनाती रही है। 1980 और 1990 के दशक में जब सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पलटने के लिए संसद में कानून बनाए गए, तब भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति को आगे बढ़ाया था।

हाल ही में संसद द्वारा पास किया गया वक्फ कानून इस तुष्टिकरण की राजनीति का एक नया उदाहरण है। वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाने के उद्देश्य से यह कानून पारित किया गया था, लेकिन अब इस पर कोर्ट से पलटवाने की कोशिशें हो रही हैं। विपक्षी दलों और खासकर कांग्रेस पार्टी की ओर से इसे अल्पसंख्यक समुदाय के हित में एक कदम के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन अब इसे कोर्ट के फैसले से चुनौती दी जा रही है।

क्या बदल पाया है कांग्रेस का रवैया?

कांग्रेस की इस पुरानी रणनीति पर अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या पार्टी वाकई में अपनी नीतियों में बदलाव लाने को तैयार है, या फिर सत्ता के खेल में वही पुराने हथकंडे अपना रही है। पिछले चार दशकों में कांग्रेस ने कई बार अपनी नीतियों और दृष्टिकोण में बदलाव का दावा किया, लेकिन असलियत में ये बदलाव कभी भी स्पष्ट रूप से नजर नहीं आए। कांग्रेस के तुष्टिकरण की राजनीति ने उसे कई चुनावों में हार भी दिलाई, फिर भी यह पार्टी उस रास्ते से हटने को तैयार नहीं दिखती।

सुप्रीम कोर्ट और संसद का संघर्ष

सुप्रीम कोर्ट और संसद के बीच संघर्ष का यह इतिहास कांग्रेस पार्टी के लिए लगातार विवाद का कारण बना है। 1980 के दशक में जब शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिला के पक्ष में फैसला दिया था, तो कांग्रेस ने उस फैसले को पलटने के लिए संसद में क़ानून बना दिया था। आज वही स्थिति वक्फ कानून के मामले में देखने को मिल रही है, जहां कोर्ट से फैसले को पलटने की कोशिशें हो रही हैं।

तुष्टिकरण के खिलाफ जनता की प्रतिक्रिया

आज के समय में तुष्टिकरण की राजनीति को लेकर जनता में भारी नाराजगी है। विशेष रूप से हिंदू समुदाय में इस तरह की राजनीति को लेकर गुस्सा बढ़ता जा रहा है, जो इसे वोट बैंक की राजनीति मानते हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस को अब इस पुरानी राजनीति को छोड़कर देश की प्रगति और समाज के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

आखिरकार क्या होगा?

वर्तमान में कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह अपनी राजनीति को किस दिशा में ले जाना चाहती है। तुष्टिकरण की राजनीति को लेकर आलोचनाओं के बावजूद, क्या कांग्रेस इससे बाहर निकल पाएगी या फिर इसी पुराने रास्ते पर चलती रहेगी, यह भविष्य में साफ होगा। लेकिन यह तय है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस को जवाब देना होगा और उसे जनता के बीच अपनी नीतियों को लेकर स्पष्टता लानी होगी।

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