ABVP’s Dominant Victory in DUSU Elections 2025: A Reality Check for NSUI’s Bold Predictions

कांग्रेस की ओवर कॉन्फिडेंस वाली रणनीति फिर फेल – डीयूएसयू चुनाव 2025 में एबीवीपी की धमाकेदार जीत ने एनएसयूआई को दिखाया आईना

दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (डीयूएसयू) के 2025 के चुनाव ने फिर बता दिया कि कॉन्फिडेंस दिखाना और जीतना दो अलग-अलग चीजें हैं। कांग्रेस समर्थित एनएसयूआई ने बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन एबीवीपी ने प्रेसिडेंट, सेक्रेटरी और जॉइंट सेक्रेटरी की सीटें झटककर उनकी हवा निकाल दी। एनएसयूआई को सिर्फ वाइस प्रेसिडेंट की एक सीट से संतोष करना पड़ा। भाई, ये कोई पहली बार नहीं है जब कांग्रेस की ओवर कॉन्फिडेंस वाली रणनीति धूल चाट गई। चलो, इस बार क्या हुआ, थोड़ा करीब से देखते हैं।

18 सितंबर को हुए डीयूएसयू चुनाव में करीब 39% वोटिंग हुई। यानी 2.75 लाख रजिस्टर्ड स्टूडेंट्स में से डेढ़ लाख ने वोट डाला। शुक्रवार सुबह 8 बजे से काउंटिंग शुरू हुई और 17 राउंड्स बाद रिजल्ट्स ने सबको चौंका दिया। एबीवीपी के आर्यन मान ने प्रेसिडेंट की सीट 28,841 वोटों से जीती, जबकि एनएसयूआई की जोस्लिन नंदिता चौधरी को सिर्फ 12,645 वोट मिले। यानी 16,000 से ज्यादा का मार्जिन! सेक्रेटरी की सीट पर कुणाल चौधरी ने 23,779 वोटों से कब्जा जमाया, और जॉइंट सेक्रेटरी में दीपिका झा ने 21,825 वोटों के साथ जीत हासिल की। एनएसयूआई के राहुल झांसला ने वाइस प्रेसिडेंट की सीट 29,339 वोटों से जीती, लेकिन ये उनके लिए बस एक छोटी राहत थी।

चुनाव से पहले एनएसयूआई के नेशनल प्रेसिडेंट वरुण चौधरी ने ऐसा माहौल बनाया जैसे सारी सीटें उनकी जेब में हैं। बोले, “ये सिर्फ एबीवीपी के खिलाफ नहीं, बल्कि डीयू एडमिन, दिल्ली-सेंट्रल गवर्नमेंट, आरएसएस-बीजेपी और दिल्ली पुलिस के खिलाफ जंग है।” दावा था कि वो पिछले साल की तरह प्रेसिडेंट और जॉइंट सेक्रेटरी जीत लेंगे। लेकिन रिजल्ट्स ने सारी हेकड़ी निकाल दी। वरुण ने बाद में ट्वीट किया, “हमने पूरी कोशिश की, लेकिन सिस्टम जीत गया।” भाई, ये सिस्टम की बात छोड़ो, स्टूडेंट्स ने साफ बता दिया कि वो एनएसयूआई की बातों से ऊब चुके हैं।

एबीवीपी ने इस बार स्मार्ट खेल खेला। उनके मुद्दे थे मेट्रो पास पर सब्सिडी, कैंपस में फ्री वाई-फाई, गर्ल्स कॉलेजों में सिक्योरिटी और गायनाकोलॉजिस्ट की डिमांड। ये सब स्टूडेंट्स को सीधे छू गया। दूसरी तरफ, एनएसयूआई ने हॉस्टल की कमी और कैंपस सेफ्टी की बात की, लेकिन उनकी अपील फीकी पड़ गई। अमित शाह ने एबीवीपी की जीत पर ट्वीट किया, “यूथ का विश्वास नेशन फर्स्ट में दिखा।” उधर, लेफ्ट की एसएफआई-आइसा तो कहीं दिखी ही नहीं।

कांग्रेस का ओवर कॉन्फिडेंस बार-बार फेल हो रहा है। 2023 में भी एनएसयूआई ने यही ढोल पीटा था, लेकिन हार का मुंह देखा। इस बार फिर वही कहानी। स्टूडेंट्स अब खोखले वादों पर नहीं, ठोस मुद्दों पर वोट दे रहे हैं। अब सवाल ये कि क्या नई डीयूएसयू कमिटी स्टूडेंट्स की उम्मीदों पर खरी उतरेगी? या फिर ये जीत भी सिर्फ शोर बनकर रह जाएगी? आप क्या सोचते हैं? एनएसयूआई की रणनीति कहां चूक गई? कमेंट्स में अपनी राय जरूर बताएं।

Leave a Reply