डीके शिवकुमार, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता, के इस कथित बयान ने राजनीतिक हलकों में विवाद पैदा कर दिया है। हालांकि, इस बयान की सत्यता को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि उपलब्ध नहीं है, और यह सोशल मीडिया पर प्रसारित दावों पर आधारित प्रतीत होता है।
कर्नाटक में हाल के दिनों में मुस्लिम समुदाय के लिए सरकारी ठेकों में 4% आरक्षण का प्रस्ताव चर्चा में रहा है। कांग्रेस सरकार ने इसे सामाजिक न्याय के तौर पर पेश किया है, जबकि बीजेपी ने इसे ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ और संविधान के खिलाफ बताकर विरोध किया है। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में धर्म के आधार पर भेदभाव न करने और आरक्षण को सामाजिक-शैक्षिक पिछड़ेपन तक सीमित रखने की बात कही गई है। इसीलिए, धर्म-आधारित आरक्षण का मुद्दा अक्सर कानूनी और राजनीतिक बहस का विषय बन जाता है।
डीके शिवकुमार का यह कथित बयान—if सही है तो—कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसके तहत वह अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर मुस्लिमों, को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। कर्नाटक में पहले भी 1994 में एच.डी. देवगौड़ा की सरकार ने मुस्लिमों को ओबीसी श्रेणी (2बी) के तहत 4% आरक्षण दिया था, जिसे बाद में बीजेपी सरकार ने रद्द कर दिया था, और यह मामला अभी भी विवादित है।
बीजेपी और आरएसएस जैसे संगठन इस तरह के कदमों को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ मानते हैं। उनका तर्क है कि बाबासाहेब आंबेडकर ने धर्म-आधारित आरक्षण की व्यवस्था को खारिज किया था। दूसरी ओर, कांग्रेस का कहना है कि यह कदम पिछड़े समुदायों को आर्थिक अवसर देने के लिए है, न कि केवल धार्मिक आधार पर।
इस बयान की सच्चाई और संदर्भ की पुष्टि के बिना इसे पूरी तरह से स्वीकार करना मुश्किल है। यह संभव है कि यह बयान राजनीतिक रूप से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया हो। क्या आप इस बयान के स्रोत या संदर्भ के बारे में और जानकारी दे सकते हैं ताकि इसे बेहतर ढंग से समझा जा सके?
मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए हम संविधान बदल देंगे- डीके शिवकुमार कॉंग्रेस नेता उपमुख्यमंत्री कर्नाटक
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अगर कोई बीजेपी का नेता संविधान बदलने की बात करता है तब सारे अंबेडकरवादी दलित नेता कांग्रेसी चमचे मीडिया वाले महीनो तक छाती कूटते हैं कि भाजपा सत्ता में आएगी तो संविधान बदल… pic.twitter.com/Ieiw4Vrp5xJitendra pratap singh
(@jpsin1) March 23, 2025